अंजनीगर्भ संभूत कपीन्द्र सचिवोत्तम । भ्रान्त कबहूं ना लाऊं, मैं ओघड का चेला मनुष्य के जीवन में चाहे आन्तरिक शत्रु जैसे काम, क्रोध, लोभ,मोह, अहंकार आदि हों या बाहर के शत्रु हों तो जीवन की गति थम सी जाती है हाँ, इसे पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं। https://vashikaran06048.bloggazza.com/31500787/details-fiction-and-most-powerful-sarv-karya-sidh-shabar-mantra-karya-siddhi-shabar-mantra-most-powerful-shabar-mantra